गुरुवार, जून 02, 2011

सूक्ति संग्रह भाग - 5

यदि तुम्हें अपने चुने हुए रास्ते पर विश्वास है, यदि इस पर चलने का साहस है, यदि इसकी कठिनाइयों को जीत लेने की शक्ति है, तो रास्ता तुम्हारा अनुगमन करता है। --धीरूभाई अंबानी

उत्तरदायित्व में महान बल होता है, जहाँ कहीं उत्तरदायित्व होता है, वहीं विकास होता है।
--दामोदर सातवलेकर

एक पल का उन्माद जीवन की क्षणिक चमक का नहीं, अंधकार का पोषक है, जिसका कोई आदि नहीं, कोई अंत नहीं। --रांगेय राघव

जीवन दूध के समुद्र की तरह है, आप इसे जितना मथेंगे आपको इससे उतना ही मक्खन मिलेगा।
--घनश्यामदास बिड़ला

हमारी खुशी का स्रोत हमारे ही भीतर है, यह स्रोत दूसरों के प्रति संवेदना से पनपता है।
--दलाईलामा

महान ध्येय के प्रयत्न में ही आनंद है, उल्लास है और किसी अंश तक प्राप्ति की मात्रा भी है।
-जवाहरलाल नेहरू

वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम हैं। -सामवेद

भोग में रोग का, उच्च-कुल में पतन का, धन में राजा का, मान में अपमान का, बल में शत्रु का, रूप में बुढ़ापे का और शास्त्र में विवाद का डर है। भय रहित तो केवल वैराग्य ही है। -भगवान महावीर


ना तो कोई किसी का मित्र है ना ही शत्रु है। व्यवहार से ही मित्र या शत्रु बनते हैं।
-- हितोपदेश

नारी की करुणा अंतरजगत का उच्चतम विकास है, जिसके बल पर समस्त सदाचार ठहरे हुए हैं।
-- जयशंकर प्रसाद

नारी की करुणा अंतरजगत का उच्चतम विकास है, जिसके बल पर समस्त सदाचार ठहरे हुए हैं।
-- जयशंकर प्रसाद

प्रतिभा महान कार्यों का आरंभ करती है किंतु पूरा उनको परिश्रम ही करता है।
-- मुक्ता

रंग इसलिए हैं कि जीवन की एकरसता दूर हो सके और इसलिए भी कि हम सादगी का मूल्य पहचान सकें।
-- मुक्ता

अपनी भूल अपने ही हाथों से सुधर जाए तो यह उससे कहीं अच्छा है कि कोई दूसरा उसे सुधारे।
-प्रेमचंद

ऐश्वर्य के मद से मस्त व्यक्ति ऐश्वर्य के भ्रष्ट होने तक प्रकाश में नहीं आता।
-मुक्ता

काम से ज़्यादा काम के पीछे निहित भावना का महत्व होता है।
--डॉ. राजेंद्र प्रसाद

युवावस्था आवेशमय होती है, वह क्रोध से आग हो जाती है तो करुणा से पानी भी।
-प्रेमचंद

पीड़ा से दृष्टि मिलती है, इसलिए आत्मपीड़न ही आत्मदर्शन का माध्यम है
-महावीर

जो अपने को बुद्धिमान समझता है वह सामान्यतः सबसे बड़ा मूर्ख होता है।
-सुदर्शन

वैर के कारण उत्पन्न होने वाली आग एक पक्ष को स्वाहा किए बिना कभी शांत नहीं होती।
-वेदव्यास

अंधेरे को कोसने से बेहतर है कि एक दीया जलाया जाए।
-उपनिषद

यदि तुम जीवन से सूर्य के जाने पर रो पड़ोगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देख सकेंगी?
— रवींद्रनाथ ठाकुर


आंतरिक सौंदर्य का आह्वान करना कठिन काम है। सौंदर्य की अपनी भाषा होती है, ऐसी भाषा जिसमें न शब्द होते हैं न आवाज़।
--राजश्री

पिता की सेवा करना जिस प्रकार कल्याणकारी माना गया है वैसा प्रबल साधन न सत्य है, न दान है और न यज्ञ हैं।
--वाल्मीकि

विज्ञान के चमत्कार हमारा जीवन सहज बनाते हैं पर प्रकृति के चमत्कार धूप, पानी और वनस्पति के बिना तो जीवन का अस्तित्व ही संभव नहीं।
--मुक्ता

हँसी छूत की बीमारी है, आपको हँसी आई नहीं कि दूसरे को ज़बरदस्ती अपने दाँत निकालने पड़ेंगे।
--प्रेमलता दीप

थोड़े दिन रहने वाली विपत्ति अच्छी है क्यों कि उसी से मित्र और शत्रु की पहचान होती है।
--रहीम

जो बिना ठोकर खाए मंजिल तक पहुँच जाते हैं, उनके हाथ अनुभव से खाली रह जाते हैं।
-शिवकुमार मिश्र 'रज्‍जन'

कर्मों का फल अवश्य मिलता है, पर हमारी इच्छानुसार नहीं, कार्य के प्रति हमारी आस्था एवं दृष्टि के अनुसार।
- किशोर काबरा

जिस तरह पहली बारिश मौसम का मिजाज बदल देती है उसी प्रकार उदारता नाराज़गी का मौसम बदल देती है
- मुक्ता

सौ बरस जीने के लिए उन सभी सुखों को छोड़ना होता है जिन सुखों के लिए हम सौ बरस जीना चाहते हैं।
- अज्ञात

अपने देश की भाषा और संस्कृति के समुचित ज्ञान के बिना देशप्रेम की बातें करने वाले केवल स्वार्थी होते हैं।
-मुक्ता

सज्जन पुरुष बिना कहे ही दूसरों की आशा पूरी कर देते है जैसे सूर्य स्वयं ही घर-घर जाकर प्रकाश फैला देता है।
- कालिदास

जिस प्रकार नेत्रहीन के लिए दर्पण बेकार है उसी प्रकार बुद्धिहीन के लिए विद्या बेकार है।
- प्रेमचंद

श्रेष्ठ वही है जिसके हृदय में दया व धर्म बसते हैं, जो अमृतवाणी बोलते हैं और जिनके नेत्र विनय से झुके होते हैं। -संत मलूकदास

कुशल पुरुष की वाणी प्रतिकूल बोलनेवाले प्रबुद्ध वक्ताओं को मूक बना देती है और पक्ष में बोलने वाले मंदमति को निपुण। - माघ

बारह ज्ञानी एक घंटे में जितने प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं उससे कहीं अधिक प्रश्न मूर्ख व्यक्ति एक मिनट में पूछ सकता है। -शिवानंद

कोई मनुष्य दूसरे मनुष्य को दास नहीं बनाता, केवल धन का लालच ही मनुष्य को दास बनाता है।
– पंचतंत्र

जैसे दीपक का प्रकाश घने अंधकार के बाद दिखाई देता है उसी प्रकार सुख का अनुभव भी दुःख के बाद ही होता है --शूद्रक


पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
- स्वामी विवेकानंद

काम करने में ज्यादा श्रम नहीं लगता, लेकिन यह निर्णय करने में ज्यादा श्रम करना पड़ता है कि क्या करना चाहिए। - अज्ञात

न्याय और नीति लक्ष्मी के खिलौने हैं, वह जैसे चाहती है नचाती है।
- प्रेमचंद

लक्ष्मी उसी के लिए वरदान बनकर आती है जो उसे दूसरों के लिए वरदान बनाता है।
-सुदर्शन

सब प्राचीन अच्छा और सब नया बुरा नहीं होता। बुद्धिमान पुरुष स्वयं परीक्षा द्वारा गुण-दोषों का विवेचन करते हैं। - कालिदास

शाला में नया छात्र कुछ लेकर नहीं आता और पुराना कुछ लेकर नहीं जाता फिर भी वहाँ ज्ञान का विकास होता है। --राजेन्द्र अवस्थी

कष्ट पड़ने पर भी साधु पुरुष मलिन नहीं होते, जैसे सोने को जितना तपाया जाता है वह उतना ही निखरता है।
--कबीर

जैसे पके हुए फलों को गिरने के सिवा कोई भय नहीं वैसे ही पैदा हुए मनुष्य को मृत्यु के सिवा कोई भय नहीं।
--वाल्मीकि

साध्य कितने भी पवित्र क्यों न हों, साधन की पवित्रता के बिना उनकी उपलब्धि संभव नहीं।
--कमलापति त्रिपाठी

जिनका चित्त विकार उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों में भी अस्थिर नहीं होता वे ही सच्चे धीर पुरुष होते हैं।
--कालिदास



पुण्य की कमाई मेरे घर की शोभा बढ़ाए, पाप की कमाई को मैंने नष्ट कर दिया है।
-- अथर्ववेद

मातृभाषा, मातृ संस्कृति और मातृभूमि ये तीनों सुखकारिणी देवियाँ स्थिर होकर हमारे हृदयासन पर विराजें।
-ऋग्वेद